आंतरिक दीवारों की वॉटरप्रूफिंग

आंतरिक दीवारों की वॉटरप्रूफिंग – नमी से छुटकारा पाने का सही तरीका

आंतरिक दीवारों की वॉटरप्रूफिंग – नमी की समस्या का स्थायी समाधान

आंतरिक दीवारों (Interior Walls) में नमी की समस्या बहुत आम है। बारिश के मौसम में पानी का रिसाव, बाथरूम और किचन जैसी जगहों पर सीलन, दीवारों से पेंट का उखड़ना या फफूंदी लगना, यह सब घर की खूबसूरती और मजबूती दोनों को प्रभावित करते हैं। यदि समय पर आंतरिक दीवारों की वॉटरप्रूफिंग नहीं की जाती, तो यह समस्या और भी गंभीर हो सकती है – दीवारों की संरचना कमजोर हो सकती है और परिवार के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है।

इसलिए सबसे पहले नमी का सही कारण पहचानना ज़रूरी है, और फिर वॉटरप्रूफिंग के ज़रिए उसका स्थायी समाधान करना चाहिए।

आंतरिक दीवारों (Interior Walls) में नमी की समस्या

नमी के मुख्य कारण (Causes of Dampness in Interior Walls)

1. ज़मीन से उठती नमी
अगर भूजल स्तर (Groundwater Level) ऊँचा हो तो दीवारों में नीचे से ऊपर तक सीलन आने लगती है। इसे राइजिंग डैम्पनेस कहा जाता है।

2. दीवारों में दरारें और छेद
बारिश का पानी या पाइपलाइन का रिसाव, दरारों और छेदों के ज़रिए दीवारों में प्रवेश करता है और नमी पैदा करता है।

3. बाथरूम और रसोई की जोड़ने वाली दीवारें
किचन या बाथरूम से पानी का लगातार रिसाव, पास की दीवारों में सीलन और फफूंदी का कारण बनता है।

4. पड़ोसी की गीली दीवारें (फ्लैट्स में आम समस्या)
मल्टी-स्टोरी बिल्डिंग में पड़ोसी के बाथरूम/किचन से पानी टपकना या टाइल्स के जोड़ से रिसाव आपके घर की दीवारों को भी प्रभावित करता है।

5. पाइपलाइन और बिजली के तारों से पानी का प्रवेश
पानी अक्सर पाइपलाइन के जोड़ों या इलेक्ट्रिक कंड्यूट्स से होकर दीवारों तक पहुँच जाता है।

6. घटिया मटेरियल का प्रयोग
कमज़ोर सीमेंट, खराब प्लास्टर या साल्ट-सैंड का प्रयोग दीवारों की मज़बूती घटाता है और नमी जल्दी पकड़ने लगता है।

7. छत से पानी का रिसाव (Roof Leakage)
बरसात या पानी जमा होने पर छत से रिसाव होता है, जो धीरे-धीरे आंतरिक दीवारों तक पहुँचकर सीलन और फफूंदी का कारण बनता है।

आंतरिक दीवारों की वॉटरप्रूफिंग

आंतरिक दीवारों को वॉटरप्रूफ करने का सही तरीका

Step 1: पुराना प्लास्टर हटाएँ
नमी वाली दीवार से पूरा पुराना प्लास्टर खुरचकर हटा दें, जब तक कि ईंटें पूरी तरह नज़र न आ जाएँ।

Step 2: दीवार की सफाई करें
तार वाले ब्रश (Wire Brush) से दीवार पर जमी रेत और धूल साफ़ करें। इसके बाद दीवार को साफ पानी से अच्छी तरह धो लें।

Step 3: प्राइमर कोटिंग लगाएँ
1 भाग PSV प्रीमिक्स और 2 भाग पानी मिलाकर प्राइमर तैयार करें। इसे पूरी दीवार पर ब्रश या रोलर से एक समान कोटिंग करें।

Step 4: प्लास्टर के लिए पानी तैयार करें
जब भी प्लास्टर करना हो, उसमें इस्तेमाल होने वाले पानी में 10% PSV प्रीमिक्स मिलाएँ। उदाहरण: 100 लीटर पानी में 10 लीटर केमिकल।

Step 5: नमी रोकने के लिए क्योरिंग (Curing) करें
नया प्लास्टर लगाने के बाद 2 दिन तक दीवार पर पानी का स्प्रे करें ताकि प्लास्टर अच्छे से सेट हो जाए।

Step 6: वॉटरप्रूफ कोटिंग करें
तीसरे दिन, 1 भाग PSV प्रीमिक्स और 1 भाग पानी मिलाकर ब्रश या रोलर से 2 बार कोटिंग करें।

Step 7: अंतिम प्लास्टर लगाएँ
एक दिन तक सूखने दें और फिर प्लास्टर लगाते समय पानी में फिर से 10% PSV प्रीमिक्स मिलाएँ।


👉 इस पूरी प्रक्रिया से आंतरिक दीवारों की वॉटरप्रूफिंग लंबे समय तक प्रभावी रहती है और नमी या फफूंदी की समस्या दोबारा नहीं होती।

आंतरिक दीवारों की वॉटरप्रूफिंग की अनुमानित लागत

1. वॉटरप्रूफिंग केमिकल्स की लागत
आंतरिक दीवारों को वॉटरप्रूफ करने में इस्तेमाल होने वाले केमिकल्स (जैसे PSV प्रीमिक्स) की कीमत लगभग ₹23/- प्रति वर्ग फुट आती है।

2. प्लास्टर की लागत (सामग्री + श्रम)
यदि आपको दीवारों पर नया प्लास्टर करवाना है, तो इसकी लागत सामग्री और मज़दूरी सहित लगभग ₹120 – ₹130 प्रति वर्ग फुट तक होगी।

3. सामग्री और श्रम का अंतर

  • यदि आप सिर्फ श्रम कॉन्ट्रैक्ट देते हैं तो आपको खुद सीमेंट और रेत की व्यवस्था करनी होगी।

  • यदि आप मैटेरियल + लेबर कॉन्ट्रैक्ट देते हैं तो राजमिस्त्री पूरा काम खुद मैनेज करेगा, जिसकी लागत थोड़ी ज़्यादा होगी।

4. कुल लागत कैसे तय होगी?
आपके घर की दीवारों की स्थिति (Condition) और कुल क्षेत्रफल (Area in Sq. Ft.) के आधार पर ही अंतिम लागत तय होगी।

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